5 Essential Elements For apsara sadhna
5 Essential Elements For apsara sadhna
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Creative imagination: Apsaras will often be connected to creative inspiration, producing this sadhana popular amid artists and creatives.
अप्सरा के रूप और स्वरूप को हिन्दू मिथकों और पौराणिक कथाओं में विभिन्न ढंग से वर्णित किया गया है। अप्सरा को अत्यंत सुंदर, आकर्षक, और मनोहारी रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनका स्वरूप आकर्षकता, सौंदर्य, और उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।
कामेच्छी अप्सरा साधना परिचय- अमराबती स्वर्गलोक के देबराज इन्द्र की राजधानी का ऐश्वर्य बहाँ की १६,१०८ अप्सराओं की कृपा का प्रसाद कहा जाता है । इन १६,१०८ में से १०८ अप्सराएं तो इन्द्र भगबान ने बेदों की १०८ ऋचाओं की साधना करके स्वयं प्रकट की थीं । इन १०८ की नायिका मेंनका और रम्भा आदि हैं । नर नारायण की तपस्या से डरकर इन्द्रदेब ने रम्भा, मेंनका आदि १६ प्रमुख अप्सराएं भेजीं । तब नर ने क्षुब्ध होकर अपनी दायीं जंघा पर हथेली मारकर उर्बशी आदि १६००० अप्सराएं उत्पन्न करके इन्द्र के पास भेज दीं ।
In the end, the dilemma of whether or not Apsara Sadhana is unsafe is determined by the practitioner’s intentions, know-how, and strategy. With the right mentality and assistance, it can be a deeply enriching and empowering spiritual journey.
१८ से लेकर ६०-७० वर्ष के बीच के व्यक्ति अप्सरा साधना कर सकते हैं।
दिव्य दृष्टि प्राप्त करने का मंत्र – दिव्य दृष्टि सिद्धि divya drshti praapt karane ka mantra
साधना को निश्चित समय पर शुरू करें, और १०-१५ मिनट बढ़ते जाएं।
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आत्म-विकास और स्थिरता: अप्सरा साधना साधक को आत्म-विकास और स्थिरता की ओर ले जाती है। यह साधना उसे आत्मिक शक्ति और शांति का अनुभव कराती है जो कि उसकी जीवन में सुख और समृद्धि लाती है।
Apsara Sadhana is often a transformative class that delves into The traditional observe of connecting with celestial beings known as Apsaras.
Numerous artists and creators report enhanced inspiration and creativeness just after partaking in Apsara Sadhana. The reference to more info the Apsaras can ignite new Suggestions and creative expression.
अप्सरा के रूप में विभिन्न श्रेणियां और विशेषताएं होती हैं, जैसे कि:
साहसिकता: अप्सराएं साहसिकता, स्वतंत्रता और उत्कृष्टता के प्रतीक होती हैं। वे अपनी क्षमताओं और गुणों को बढ़ावा देती हैं।
इस अप्सरा की कामेच्छा कभी शांत नहीं होती सदैब यह कामपीडित बनी रहती है इसीलिए इसका नाम कामेच्छी पडा है। इसका अनुष्ठान सरल है । सोमबार के कमलधारिणी देबी का चित्र ले। एकान्त स्थान पर रात्रि में उक्त मंत्र से पूजा कर ७ दिन तक हकीक माला से ११००० जप करे तो देबी सिद्ध हो जाती है प्रभाब स्वयं पता चलता है ।